Soham Parekh News – इंटरनेट की दुनिया में हर दिन नए किस्से सामने आते हैं, लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है। एक भारतीय technologist सोहम पारेख (Soham Parekh) को लेकर अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में हलचल मच गई है। कई स्टार्टअप्स के CEO उन पर एक साथ कई कंपनियों में काम करने, झूठ बोलने और धोखाधड़ी के आरोप लगा रहे हैं। इस पूरे विवाद को सोशल मीडिया पर ‘Soham-gate’ का नाम दिया गया है।
आइए, जानते हैं कौन हैं सोहम पारेख, उन पर क्या आरोप हैं, किस तरह यह विवाद सामने आया और इसका क्या असर पड़ सकता है।
कौन हैं सोहम पारेख? (Who is Soham Parekh?)
सोहम पारेख एक भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं जो मुंबई से हैं। उन्होंने University of Bombay से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में स्नातक किया और फिर Georgia Institute of Technology से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स डिग्री हासिल की।
उनका रेज़्यूमे देखने पर लगता है कि उन्होंने कई टॉप स्टार्टअप्स और टेक कंपनियों में काम किया है, जैसे:
- Dynamo AI (2024–अब तक) – सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर
- Union.ai (2023–2024) – सीनियर फुलस्टैक इंजीनियर
- Synthesia (2021–2022)
- Alan AI, GitHub (Open Source Fellow)
- Fleet AI, Antimetal, Mosaic जैसे अन्य नाम भी शामिल हैं।
लेकिन अब इन सभी अनुभवों पर सवाल खड़े हो गए हैं।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

पूरी कहानी की शुरुआत तब हुई जब Mixpanel के को-फाउंडर और CEO सुहैल दोशी (Suhail Doshi) ने एक X (Twitter) पोस्ट किया। उन्होंने लिखा:
“PSA: इंडिया का एक लड़का है, नाम है Soham Parekh, जो एक ही समय पर 3-4 स्टार्टअप्स में काम करता है। YC कंपनियों को टारगेट कर रहा है। सावधान रहें।”
इसके साथ ही उन्होंने सोहम के झूठ पकड़ने की अपनी कहानी भी शेयर की, जिसमें बताया कि उन्होंने सोहम को हायर किया था लेकिन पहले ही हफ्ते में सच्चाई सामने आने पर उसे निकाल दिया गया।
सुहैल दोशी ने क्या आरोप लगाए?
- सोहम ने अपनी लोकेशन और अनुभव के बारे में झूठ बोला।
- उसने कंपनी को बिना बताए औरों के साथ भी जॉब की हुई थी।
- उसे जब निकाला गया, तब समझाने की कोशिश की गई, लेकिन वह एक साल बाद भी वही कर रहा है।
- उनका दावा है कि सोहम का रेज़्यूमे “90% फर्जी” हो सकता है, क्योंकि कई लिंक और रेफरेंस गायब हैं।
अन्य स्टार्टअप्स के CEO भी सामने आए

सुहैल के पोस्ट के बाद कई और स्टार्टअप्स के फाउंडर्स भी सामने आए और अपने अनुभव शेयर किए:
- Nicolai Ouporov (CEO, Fleet AI) ने कहा –
“यह आदमी पिछले कई सालों से यही कर रहा है, एक ही समय में 4 से ज्यादा स्टार्टअप्स में काम करता है।” - Justin Harvey (AIVideo के को-फाउंडर) ने लिखा –
“इंटरव्यू में शानदार परफॉर्म किया, पर काम देने पर डिलीवरी शून्य रही।” - Adish Jain (स्टार्टअप फाउंडर) बोले –
“हमें एक महीना बर्बाद कर दिया। झूठा है। इंटरव्यू में तो बहुत अच्छा था।” - Michelle Lim नाम की यूज़र ने बताया कि वो सोहम को trial पर लेने वाले थे, लेकिन tweet देखकर trial कैंसिल कर दिया।
Soham-gate क्यों ट्रेंड करने लगा?
यह मामला social med पर इतनी तेजी से फैल गया कि लोगों ने इसे एक नया नाम दे दिया – “Soham-gate”।
सुहैल ने अपने ट्वीट में बताया:
“यह मजाक नहीं है। यह अभी रीयल टाइम में हो रहा है। तीसरा मैसेज आज आया है कि किसी ने अभी-अभी उसे निकाल दिया।”
टेक इंडस्ट्री में यह मुद्दा ट्रेंड करने लगा, और कई लोग इसे moonlighting (एक से ज्यादा जगहों पर काम करना) से जोड़कर देख रहे हैं।
क्या Moonlighting अवैध है?
भारत और अमेरिका दोनों जगहों पर moonlighting (छुपाकर दूसरी जगहों पर काम करना) नैतिक और कानूनी रूप से गलत माना जाता है, खासकर तब जब:
- आपने कंपनी को सूचित नहीं किया हो।
- दूसरी कंपनी आपके काम में बाधा बन रही हो।
- आप क्लाइंट डेटा या कोड का दुरुपयोग कर रहे हों।
सोहम पर भी यही आरोप हैं – कि उन्होंने न केवल झूठ बोला बल्कि एक ही समय में कई कंपनियों से सैलरी ली, लेकिन काम कहीं नहीं किया।
कंपनियों पर इसका क्या असर पड़ा?
- समय और पैसा दोनों की बर्बादी।
- प्रोजेक्ट डिले होना।
- दूसरे सही उम्मीदवार को मौका न मिल पाना।
- कंपनी की प्रोडक्टिविटी पर नकारात्मक असर।
इस तरह के केस से स्टार्टअप्स का भरोसा फ्रेश हायरिंग से हटने लगता है।
क्या कहता है इंडस्ट्री इस ट्रेंड पर?
टेक इंडस्ट्री में काम के प्रति ईमानदारी और पारदर्शिता बेहद जरूरी है।
सिर्फ अच्छा resume या interview पास करना काफी नहीं होता।
अगर कोई बार-बार कंपनियों के साथ धोखा करता है, तो इसका असर उसकी पर्सनल ब्रांडिंग, नेटवर्क और फ्यूचर हायरिंग पर पड़ता है।
सोहम पारेख ने अब तक क्या प्रतिक्रिया दी?
इस पूरे विवाद में अब तक सोहम पारेख की कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
उनका ट्विटर/X अकाउंट भी सार्वजनिक नहीं दिख रहा है और लिंक्डइन प्रोफाइल में भी कोई अपडेट नहीं किया गया है।
क्या कंपनियां अब सावधान होंगी?
यह पूरा मामला एक बड़ा सबक है उन कंपनियों के लिए जो रिमोट हायरिंग या कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड टेक टैलेंट को हायर करती हैं। अब कंपनियां:
- बैकग्राउंड वेरिफिकेशन को और कड़ा करेंगी।
- वर्क मॉनिटरिंग टूल्स का इस्तेमाल करेंगी।
- प्रूफ ऑफ वर्क और डिलीवरी-टाइम को ज्यादा अहमियत देंगी।
आखिर में सवाल उठता है – क्या यह धोखा था या सिर्फ चतुराई?
कुछ लोग इसे धोखा और झूठ मान रहे हैं, तो कुछ इसे सिर्फ स्मार्ट वर्क के नाम पर किया गया टाइम-पास। लेकिन सच्चाई यह है कि भरोसा तोड़ा गया है, और जब बात कंपनी और क्लाइंट की हो, तो भरोसे से बड़ा कुछ नहीं होता।
निष्कर्ष (Soham Parekh News)
Soham Parekh News आज इंटरनेट पर चर्चा का केंद्र बन गया है। एक टैलेंटेड इंजीनियर होने के बावजूद उन्होंने जो तरीका अपनाया, वह टेक इंडस्ट्री के लिए एक अलार्म की तरह है।
इस केस से हमें यह समझना चाहिए कि रेज़्यूमे से ज्यादा जरूरी होता है – ईमानदारी, काम के प्रति समर्पण और भरोसे की कीमत समझना।
डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल जानकारी और मनोरंजन के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई सारी जानकारी सार्वजनिक स्रोतों और लेखक की व्यक्तिगत राय पर आधारित है। किसी भी प्रकार की आधिकारिक पुष्टि या वैधानिक दावा इस लेख में नहीं किया गया है। दर्शक किसी भी निर्णय से पहले संबंधित प्लेटफॉर्म या आधिकारिक स्रोतों से पूरी जानकारी जरूर जांच लें।
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